ममता की परीक्षा - 103

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बड़ी देर तक रमा और जूही एक दूसरे से लिपटी अपना गम कम करती रहीं।दूर खड़ी साधना कुछ देर तक उन्हें देखती रही। वह जानबूझकर उनसे दूर रही। उसने उन्हें जी भर कर रोने दिया। जानती थी जीभर कर रो लेने से दिल का बोझ कुछ कम हो जाता है। भजन में शामिल लोगों की निगाहें भी अब उनकी तरफ घूम गई थीं। माँ बेटी का वह करुण मिलन देखकर वहाँ उपस्थित हर इंसान की आँखें नम हो गई थीं। जूही की आँखों से आँसुओं की बरसात थमने का नाम नहीं ले रहे थी। जी भर रो लेने के बाद