डेफोड़िल्स ! - 4

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36 - मेरे पारिजात ! पारिजात ! मैंने लगाया कितने जतन से तुम्हें प्रतीक्षा की और अचानक एक दिन तुम्हें देखा, मुस्कुराते हुए हरियाली के बीच तुम बिना मेरे स्पर्श के बिछुड़ गए थे डाल से किस कमाल से ! मुझे मिले कुल चार माया,ममता,स्नेह और प्यार पता लगा धीमे-धीमे सूरज के बाद उगते हो तुम पूरी रात महकते, चहकते हो तुम क्या सजनी से बातें करते हो ? बाँटकर उसको प्यार क्या करते हो मनुहार ? पारिजात ! तुम करते हो उससे अभ्यर्थना,आने वाली रात में मिलने की इसीलिए जुदा होते हो शायद टपक जाते हो डाल से दुखी