डेफोड़िल्स ! - 2

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6 - था कभी वो कभी एक घर हुआ करता था जिसमें से खनकती रहती थीं आवाज़ें कुछ ऐसे–जैसे चिल्लर खनकती है, बच्चों की गुल्लक में जैसे हवा की सनसनाहट खड़े करने लगती है रौंगटे स्फुरित होने लगता है मन चहचहाहट से भर उठता है पक्षियों का बसेरा भीग जाते सारे एहसास कहीं न कहीं झूम जाता मन तेरे साथ होने की तेरे पास होने की कोशिश मुझे जिलाए रखती है सदा रहने को तेरे साथ मैं,एक मीन हूँ जो तेरे समुंदर में रहती है सदा - मेरी मुहब्बत प्रकृति !!   7 - मत बहक आशाओं का बागीचा कामनाओं