ममता की परीक्षा - 102

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आसपास के गाँवों में कोई ढंग की स्कूल न होने की वजह से नया स्कूल खुलने की खबर पाते ही लगभग पचास विद्यार्थियों ने साधना की स्कूल में दाखिला ले लिया। जून से शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही महिला आश्रम के ही एक कमरे में पहली और एकमात्र कक्षा की पढ़ाई शुरू हो गई। साधना के मधुर व्यवहार ने उसे जल्द ही बच्चों में खासा लोकप्रिय बना दिया। अमर भी उन बच्चों के साथ ही बैठकर शिक्षा ग्रहण करने लगा। दिन भर बच्चों को पढ़ाने के बाद साधना महिलाओं को पढ़ाने का कार्य यथावत जारी रखे हुए थी। बच्चों के