एक अमूल्य संध्या 'हिडिम्बा' की लेखिका; डॉ. नताशा अरोरा के साथ ------------------------ पहली बार 'अस्मिता' नारी मंच पर जिस शख्सियत से परिचय हुआ उससे प्रभावित न हो पाना कठिन था, कुछ उनका सरल अपनत्व भरा व्यवहार और कुछ इसलिए भी कि उन्होंने मुझे सीधे पूछ लिया ; " प्रणव जी आप हिडिम्बा' की समीक्षा करेंगी?" पुस्तक से पूर्व में प्रकाशित उनकी इसी विषय पर कहानी मेरे मस्तिष्क पर छाई हुई थी, यह कहानी 'वर्तमान साहित्य'की श्रेष्ठ कहानियों में से थी । उस दिन 'अस्मिता' की बैठक में उन्होंने उस कहानी का पाठ भी किया था।मैं उसके पात्रों के साथ मानसिक