दानी की कविताएँ - 1

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अनुक्रमाणिका   1 चंपक चूहा 2 अटकन पटकन, दही चटकन 3 कलंदर 4 चूं चूं की सगाई 5 सबको मिलाकर चलना होगा 6 जंगल ही हम सबकी काशी 7 सुन्दर खेल 8 तितली रानी 9 एक थी गुड़िया 10 किसने देखा काला चोर ! 11 चूहे की शादी 12 चुन्नू का घोड़ा 13 टुन्ना भाई 14 चिड़िया ने खाए गोलगप्पे 15 चूहे की पैंट 16 गप्पूराम 17 टिंकू बन्दर की नाव 18 प्यारे बच्चे ****** चंपक चूहा चंपक चूहा चला मदरसे खटपट करता निकला घर से माँ ने दिया था खाना वह कहता था ‘न—न’ बोला;”मैं न खाऊँगा वापिस घर