ईसुरी का श्रृंगार काव्य

  • 4.7k
  • 2.1k

ईसुरी का श्रृंगार काव्यडॉ.के. बी. एल.पाण्डेयईसुरी मूलतः श्रृंगार के कवि हैं। उन्होंने भक्ति, वैराग्य, नीति और सामाजिक जीवन पर भी फागों की रचना की है,किंतु उनकी अधिकांश फागों का विषय श्रृंगार है । फाग का संबंध होली से होने के कारण उसमें श्रृंगार स्वाभाविक रूप से जुड़ा है।ईसुरी का काव्य सहज अनुभूति और अकृत्रिम अभिव्यक्ति का काव्य है। उनके काव्य में प्रधान रूप से लोकजीवन की भावनाएं और अनुभूतियां अपने मौलिक और अप्रच्छन्न रूप में हैं। सभ्यता की बनावट से अप्रभावित उनके काव्य में भावों का स्वाभाविक आवेग है। उनके राग विराग में औपचारिकता, गोपन या दमन नहीं है। ईसुरी