वल्लभ सिद्धार्थ 

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वल्लभ सिद्धार्थ का जाना: एक दुःखद दृश्यांतरडॉ. के. बी. एल. पाण्डेयजाना हिंदी की सबसे खौफनाक क्रिया है- केदारनाथ सिंह सिर्फ संदर्भ बदलकर यह अनुभव वल्लभ सिद्धार्थ के चले जाने से भी होता है । 'थे' 'हैं' का इतना आसन्नभूत है कि क्षणांश के परिवर्तन को हमारी चेतना तत्काल स्वीकार न कर चौंक जाती है। तब इस खौफनाक क्रिया की यही प्रतिक्रिया रह जाती है कि 'अरे अभी कल ही तो मिले थे । उनसे मिलने की योजना बना रहे थे पर नहीं मिल सके ।'महापुरुषों की वापसी, नित्य प्रलय, ब्लैकआउट, व्यवस्था, दुरभि सन्धि, डरा हुआ, जुलूस, कनखजूरा जैसी सशक्त कहानियों