इश्क़ ए बिस्मिल - 42

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ज़मान खान उन दोनों बहनों को खिला कर उमैर को ढूंढते हुए उसके कमरे में आए थे। उमैर अपनी बेड पे सीधा लेटा हुआ था उसकी टांगें बेड से नीचे लटक रही थी। “बोलो क्या बात करनी थी तुम्हें?” ज़मान खान आते ही उस से पूछ बैठे थे। “बाबा अगर आपको याद होगा तो आपने मुझ से कहा था की आपके लिए मेरी ख़ुशी ज़्यादा एहमियत रखती है?” वह बेड पर से उठ कर खड़ा हो गया था और अब ज़मान खान के बिल्कुल आमने सामने खड़ा था। “हम्म! ये सच है मेरे नज़दीक तुम्हारी खुशी बोहत एहमियत रखती है।“