कसम

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हो सकता है हम में से किसी ने कान्वेंट में पढ़ा हो, किसी ने विद्या मंदिर में या मेरी तरह सरकारी स्कूल में। हम सभी के स्कूल अलग-अलग, टीचर्स अलग-अलग, पाठ्यक्रम अलग-अलग, किताबें अलग-अलग। लेकिन सभी स्कूलों में एक चीज काॅमन होती है।यही विद्या माता की कसम। जिसे कड़वी दवाई की तरह सबको घोंटना ही पड़ता है। मेरी जिंदगी में यह कसम आँधी-तूफान की तरह नहीं बसंती हवा के झोंके सा आया था। उस दिन हिंदी वाले मास्टर साहब नहीं आए थे। हम सभी क्लास में खाली पीरियड का सबसे महत्त्वपूर्ण काम कर रहे थे - शोरगुल। अगली घंटी इतिहास