किंबहुना - 10

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उसे पता था कि मैं आलम से प्यार नहीं कर सकती पर अगर उसका ये अत्याचार, गाली-गलौज, मार-पिटाई, काम न करना; कुछ आदतें सुधर जाएँ तो किसी तरह जी लिया जाए! बहुत समझाने के बाद दो एक दिन ठीक रहता, पर जहाँ कोई ऐसी बात हुई जो उसे पसन्द न आए तो फिर वो अपने असली रूप में आ जाता। जिस-जिस से आलम ने पैसे उधार लिए थे, वे पैसा माँगने के लिए उसे ढूँढ़ते रहते। इसी डर से उसने दुकान खोलना बंद कर दिया तो अब आय का कोई साधन नहीं बचा। घर में दो समय का खाना