Chhatra Pal Verma 1 MARGINALIA रीतिकालीन दरबारी कवि “बिहारी” ने शृंगार रस से ओत-प्रोत सात सौ दोहों की रचना की थी, जिसे “बिहारी सतसई” नाम से जाना जाता है, जिसके बारे में लोकगाथा है- ‘सतसैया के दोहरे, ज्यों नाविक के तीर। देखन में छोटे लगें, घाव करें गंभीर॥ अतिशयोक्ति न होगी यदि यही बात, कहावतों, लोकोक्तियों, व सूक्तों के संबंध में कही जाए| हर देश व काल में मनीषी, महान विचारक व समाज सुधारक अवतरित हुये हैं, जिन्होंने अपने अनुभव आधारित विचारों से देश व समाज की अवधारणायें नियत कीं, जिन्हें आज भी लोग देव वाक्यों, या देव-आदेशों की तरह