मुझे मेरा भारत

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मुझे मेरा भारत   इस   विदेशी धरती पर भले ही  मेरा देश इसका वर्षों तक गुलाम रहा और जिसे याद करके मुझे वे वीर बलिदानी हमेशा याद आते रहे जिन्होंने अपनी मात्र भूमि की स्वतंत्रता के लिए अपना यौवन और माँ - पिता के सपने सिरे से नकार दिए और जिसके  प्रति मेरे जहन में तिरस्कार के ही नहीं प्रतिकार के भाव भी अंगराईयां लेते रहे पर कदम पाकर मैं अचंभित हूँ।    यहाँ तो आज भी सब कुछ खुला - खुला सा है, लोगों का हुजूम कम है फिर भी तहजीब है , सब कुछ साफ़ - सुथरा है