अपमान कर्ता शब्दों के प्रयोग, कलंक या निंदा की बात अर्थात् अपशब्दों यानी गालियों का प्रयोग क्या सही हैं?जो जैसा हैं उसे वैसा ही कहना अर्थात् ही सत्य कहना होता हैं और जिसकी जो जैसा उसे ठीक वैसा कहनें में निष्ठा होती हैं वही सत्यवादी कथनकार सत्यनिष्ठ अर्थात् ईमानदार हैं; यही कारण हैं कि हर धर्म यथा अर्थों के कथन को बड़ा और पर्याप्त महत्व देता हैं।यदि कोई ऐसा कृत्य करता हैं जो कि स्पष्ट अनुचित या अशिष्ट हैं तो उस जैसों के लियें शब्द भी अनुचित या अशिष्ट ही होने के परिणाम से उसे अशिष्ट कहनें में परहेज़ अनुचित