अग्निजा - 70

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प्रकरण-70 देर रात तक केतकी विचारों में खोई रही। “जीतू को मेरी कितनी चिंता है...अब उसे मुझे किराये के मकान में नहीं रखना है...मध्यमवर्गीय लोगों के लिए घर पहला और आखिरी सपना होता है। वह मरने के बाद ही खत्म होता है। लेकिन जीतू कितना संवेदनशील है...ये अवसर न आया होता तो सके व्यक्तित्व का यह अच्छा पहलू उसके सामने कभी आया ही नहीं होता। लेकिन भावनाएं अपनी जगह ठीक हैं लेकिन इसमें एक पेंच तो पड़ा ही है कि चार लाख रुपए की रकम आएगी कहां से? पिताजी के पास हों, या न हों..होंगे भी तो क्या वे देंगे?क्यों