सफ़र एहसासों का

  • 3.8k
  • 1
  • 1.8k

लीना खेरिया ------------- एक गुलदस्ता होता है न जिसमें ख़ुशबू होती है, छुअन होती है, रफ़्ता-रफ़्ता चलते कुछ सवाल होते हैं और उसी रफ़्तार से चलते उनके जवाब भी ! वे सब गुम होती दिशाओं के साथ कदम से कदम मिला चलते ही तो रहते हैं | वे जज़्बातों को दिल की मुट्ठी में कैद कर एक सुहानी सी भोर से लेकर  साँझ के पल्लू में ऐसे झरते हैं जैसे हारसिंगार के ऐसे फूल जो अपने प्रियतम को पूरी रात प्रतीक्षा करवाते हैं | लेकिन ---लेकिन उन खुशबुओं की तैरती फ़िज़ाओं में ख़ुश्बू फीकी नहीं पड़ती | ये ताक़त है