"अरे तुमघण्टी की आवाज सुनकर सन्ध्या ने जल्दी से अपने बदन पर तौलिया लपेटा और दरवाजा खोलने के लिए चली आयी,"कब लौटे नेपाल से?""अभी"अंदर आकर सोफे पर बैठने के बाद सन्ध्या के शरीर पर नजर डालते हुए बोला,"क्या इस जालिम जवानी से किसी का खून करने का इरादा है।""अगर कोई खुद ही कत्ल होना चाहे तो इसमें मेरा क्या दोष है?"संन्ध्या,संदीप के बगल में आकर बैठ गयी।"दीपेन कहां गया?"संदीप बोला।"तुम्हारे आने से पहले ही कलकत्ता के लिए निकला है।निकलने से पहले मुझे जबरदस्ती बिस्तर में पटक लिया।साला बुड्ढा नामर्द।कुछ होता जाता नही।वैसे ही शरीर गन्दा कर दिया।""है तो तुम्हारा पति।मैं