मेरे घर आना ज़िंदगी - 29

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(29)अमृता को शोभा की बातें समझ आ‌ रही थीं। वह भी श्याम के शोभा बनने की कहानी को जानना चाहती थी।‌ उसने कहा,"आपने जो कुछ कहा मैं उसे समझने की कोशिश कर रही थी। ऐसा नहीं है कि मैं समीर की तकलीफ को बिल्कुल नहीं समझती हूँ। लेकिन समाज के व्यवहार के बारे में सोच कर डर जाती हूँ। मुझे लगता है कि समाज क्या समीर के उस रूप को स्वीकार कर पाएगा।"शोभा ने कहा,"मैं आपकी चिंता को समझती हूँ। एक माँ होने के नाते आपकी चिंता जायज़ भी है। अगर आप समीर को समझती हैं तो उसे हौसला दीजिए।