आगे पूरे रास्तेभर भोला खामोशी से डॉक्टर बलराम सिंह के साथ चलता रहा। आगे आगे चल रहा ग्रामीण कुछ तेज कदमों से चल रहा था जबकि भोला डॉक्टर के साथ बने रहने के लिए अपेक्षाकृत धीमी गति से चल रहा था। डिस्पेंसरी पर पहुँच कर डॉक्टर साहब ने शहर के अस्पताल के नाम एक सिफारिशी पत्र लिख दिया जिसमें मास्टर जी की तबियत के बारे में अपना मंतव्य भी व्यक्त करके आगे के इलाज के लिए उनसे आग्रह किया था। साथ आया वह ग्रामीण युवक डॉक्टर को धन्यवाद देकर उनसे वह पर्ची लेकर मास्टर के घर पर वापस पहुँचा। यहाँ