शहरे खामोशां

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बरसात शुरू हो गई, तेज बौछार नहीं, हल्की बूंदा-बांदी हो रही थी। पर जब पानी आंखों में गिरे तो खुले आसमान तले बैठना मुश्किल हो जाता हे। वह उठ कर सामने पेड़ के नीचे वाले बैंच पर जा बैठा, जहां पहले से ही नीली कमीज पहने एक प्रौढ़ व्यक्ति बैठा था। इस व्यक्ति को वह रोज इसी बैंच पर यही कमीज पहने बैठे देखता था। दूर से वह प्रौढ़ नजर आता था, पर आज पास से देखने पर उसे वह उसकी उम्र से चार-पांच वर्ष बड़ा नज़र आया। उसे याद आया उसने भी तो कई दिन से कपड़े नहीं बदले