Exploring East India and Bhutan-Chapter-28 सत्रहवां दिन होटल वापिस आ कर मानसी अपने रूम में चली गई व् हमने भी अपने अस्थायी बसेरे की तरफ रुख किया. आज टूर का अंतिम पडाव था. “लडकी सेंटीमेंटल हो रही है” मैंने अपने ज्ञान का पिटारा खोला “वो क्या मै खुद हो रही हूँ, आखिर कल सबने अपनी-अपनी राह पकड लेनी है” विनीता ने भी भारी आवाज में कहा “सबने से क्या मतलब, सिर्फ मानसी ने अपनी राह पकडनी है” मैंने गुहार लगाई, विनीता मुस्कराई “अरे, चंद दिनों का ही तो साथ था” मैंने बेपरवाही दर्शाते हुए कहा तो विनिता ने मु