अनूठी पहल - 23

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- 23 - प्रवीण पाँच-छह साल का था। एक साल से स्कूल जाने लगा था। स्कूल में बच्चों के साथ मिलते-जुलते तथा अध्यापिका के पढ़ाने के ढंग ने उसकी जिज्ञासा को बहुत तीव्र कर दिया था। रात को जब प्रभुदास बिस्तर पर पहुँचता तो प्रवीण आ धमकता और दिन में सीखी हुई नई-नई बातें अपने दादा को बताता और मन में उठे सवाल भी पूछता। एक दिन शाम को प्रवीण भी प्रभुदास के साथ दुकान पर बैठा था कि ‘बाबा बर्फ़ानी सेवा मंडल’ के दो लोग दुकान पर आए और प्रभुदास से अमरनाथ यात्रा के दौरान लगने वाले वार्षिक भण्डारे