अनूठी पहल - 17

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- 17 - दीपक के विवाह के बाद पार्वती ढीली रहने लगी। एक दिन दुकान पर जाने से पहले प्रभुदास पार्वती के पास गया। वह बिस्तर पर लेटी हुई थी। प्रभुदास ने पूछा - ‘माँ, कई दिनों से तेरी तबियत ठीक नहीं। आज तुझे डॉ. प्रतीक को दिखा लेते हैं।’ ‘प्रभु, अब तो मैं जितने दिन ज़िन्दा हूँ, मुझे डॉक्टरों के चक्करों में ना डाले तो अच्छा होगा।’ ‘माँ, डॉ. प्रतीक तो घर के आदमी जैसा है। वह चक्करों में नहीं डालता।’ ‘फिर जैसी तेरी मर्ज़ी।’ ‘माँ, घंटा-एक दुकान पर हो आऊँ, फिर डॉक्टर के पास चलेंगे।’ डॉ. प्रतीक ने