अनूठी पहल - 16

  • 2.8k
  • 1.2k

- 16 - दीपक जब घर आया तो सभी को बड़ी ख़ुशी हुई। सुशीला और कृष्णा ने कई तरह के पकवान तैयार कर रखे थे। प्रभुदास ने सरकार द्वारा प्रदत्त सम्मान पत्र देखकर कहा - ‘दीपक बेटे, इतनी छोटी उम्र में तेरी यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस पत्र को फ़्रेम करवा लेना।’ ‘जी पापा, मैं कल ही फ़्रेम करवा लूँगा।’ कृष्णा ने भी उसे बधाई दी, किन्तु दीपक को उसके चेहरे पर ख़ुशी की कोई झलक दिखाई नहीं दी। उसने पूछा - ‘भाभी, क्या बात है, आपकी तबियत ठीक नहीं है क्या?’ ‘नहीं दीपक, ऐसी तो कोई बात नहीं।’