सपने.......(भाग-42)आदित्य और आस्था एक दूसरे से काफी देर तक यूँ ही एक दूसरे से लिपटे रहे.... वो भी बिल्कुल चुपचाप।शायद एक दूसरे से अलग होते ही नहीं अगर आदित्य का फोन न बजता"आदित्य तुम्हारा फोन बज रहा है, उठा लो", आदित्य से अलग होने की कोशिश करते हुए आस्था ने कहा।" बजने दो, तुम बस यूँ ही मेरे सीने से लगी रहो".....! फोन बज बज कर बंद हो गया, पर शायद कोई जरूरी कॉल था तभी फोन की घंटी दोबारा बजने लगी। "मैं यहीं हूँ, चलो जल्दी से फोन अटैंड करो, कोई Important कॉल होगा".... कह कर आस्था उससे अलग