कहानी प्यार कि - 34

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संजना अपने कमरे में पार्टी के लिए तैयार हो रही थी .. पर उसके दिमाग में अभी भी सौरभ की कही बाते घूम रही थी...अनिरूद्ध दरवाजे पर हाथ बांधे हुए कब से संजना को तैयार होता हुआ देख रहा था...संजना ने तभी मंगलसूत्र पहना और फिर मांग में सिंदूर भरा.. यह देखकर अनिरुद्ध के चहेरे पर स्माइल आ गई... वो धीरे धीरे संजना के करीब आया... और उसके पीछे खड़ा हो गया.. पर संजना अपने ही विचारो में खोई थी उसने अनिरुद्ध पर ध्यान ही नही दिया...तो अनिरुद्ध ने उसे गोद में उठा लिया..."आऊ! ये क्या कर रहे हो....उतारो मुझे..."