दूसरा अध्याय

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अभी मेरी अपनी एक सहेली रिया से पूरे दो घंटे बात हुई,वह बेहद व्यथित एवं उद्वेलित थी,कारण ऊपरी तौर पर कोई विशेष नहीं कहा जा सकता है लेकिन मैं उसकी उद्विग्नता अच्छी तरह महसूस कर पा रही थी क्योंकि कहीं न कहीं अधिकतर महिलाएं उम्र के इस दौर में अपने जीवन के दूसरे अध्याय के संक्रमण काल से गुजरते हुए इन मनोभावों से लड़ती हैं। हम युवा होते उन बच्चों की माँएं हैं,जो अभी अध्ययनरत हैं, वे बच्चे भी अपने जीवन के बेहद अहम दौर से गुज़र रहे हैं, जहाँ उनके समक्ष अपने भविष्य को खूबसूरत आकर देने का लक्ष्य