ज़िद्दी इश्क़ - 13

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सैंडविच खा कर वोह अपने कमरे में आई तो माज़ पहले से ही वहां उसका इंतेज़ार कर रहा था। इन दो हफ़्तों में माज़ कुछ ज़्यादा ही बिजी था। मगर वोह दोनो जब भी मिलते थे एक दूसरे को तंग करने का एक भी मौका नही छोड़ते थे। "माहेरा मेरी बात सुनो और इधर आओ मेरे पास बैठो.........." माज़ ने सोफे पर अपने पास इशारा करते हुए माहेरा से कहा। माहेरा बुरा सा मुंह बना कर उसके साथ बैठ गयी। वोह जानती थी अगर वोह ना बैठी तो माज़ को गुस्सा आने में सिर्फ एक सैकेंड लगेगा। "बोलो,,,,,,क्या बात करनी