दानी की कहानी - 29

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------------------------ रवि -शशि के कमरे में से आज फिर शोर आ रहा था दोनों जुड़वाँ,  दोनों की आदतें एक सी ही दोनों एक ही कक्षा में और दोनों के बीच चकर-चकर एक जैसी ही न एक झुकने को तैयार,  न  दूसरा रुकने को दानी से दोनों ही  बहुत प्यार करते, बहुत सम्मान भी ! बहुत कुछ सीखते थे उनसे ! कहानियाँ  सुनने का भारी शौक ! और दानी --उनका बस चलता तो सारे बच्चों को गले में चिपकाए घूमतीं दानी पर यह बात सौ फ़ीसदी सही बैठती थी,  'मूल से ज़्यादा ब्याज़ प्यारा ' कभी-कभी