हज़ार चौरासी की माँ - भाग 5 - अंतिम भाग

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नाटक ‘हज़ार चौरासी की माँ’ मूल बांग्ला उपन्यास - महाश्वेता देवी बांग्ला नाट्य रूपांतर - शांति चट्टोपाध्याय हिन्दी नाट्य अनुवाद - मल्लिका मुखर्जी दृश्य 5   नन्दिनी:  (दरवाज़ा खोलते हुए) आप? सुजाता:    मैं व्रती की माँ हूँ।  नन्दिनी:  आइए... आइए...बैठिए। सुजाता:   थोड़ा पानी मिलेगा? सिर में असहय दर्द हो रहा है.... एक टेब्लेट लेनी पड़ेगी।  नन्दिनी:  (ग्लास में पानी भरकर उन्हें देती है।) लीजिए। (सुजाता पर्स में से दवाई निकालकर पानी के साथ लेती है।)  सुजाता :  बताओ नन्दिनी, तुमने मुझे कैसे याद किया? नन्दिनी: क्योंकि आप व्रती माँ हैं। मेरे लिए आपसे परिचित होना ज़रूरी है। क्या