नाटक ‘हज़ार चौरासी की माँ’ मूल बांग्ला उपन्यास - महाश्वेता देवी बांग्ला नाट्य रूपांतर - शांति चट्टोपाध्याय हिन्दी नाट्य अनुवाद - मल्लिका मुखर्जी दृश्य 4 सोमू की माँ: (दरवाज़ा खोलते हुए) ओह! आप! मेरा सोमू....(कहकर रोने लगती है।) सोमू कहाँ खो गया दीदी? (सुजाता को सोफ़े पर बिठाती है। दूसरे सोफ़े पर सोमू की माँ बैठती है।) सुजाता: रोकर क्या करोगी बहन? सोमू की माँ: मेरी बेटी भी यही कहती है, माँ रोना नहीं। सोचती हूँ तो दिमाग काम नही करता। सुजाता: ज्यादा मत सोचिए, सिर्फ़ दु:ख बढ़ता जाएगा। सोमू की माँ: आप के बेटे ने