अग्निजा - 50

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प्रकरण-50 केतकी को लगा कि खूब जोर से चिल्लाना चाहिए..इतनी जोर से कि धरती कांप जाए। अपने ही बाल नोचें जाएं। इतनी जोर से कि सारे बाले उखड़कर हाथों में आ जाएं और सिर खूनाखून हो जाए। कम से कम नाखून ही इतने लंबे होते कि अपनी ही चमड़ी उधेड़ सकती। उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि मां आखिर इतना सहन क्यों करती है? किसके लिए? किन पापों की सजा भुगत रही है वह? ऐसे राक्षस को वह क्यों बचाना चाहती है और कब तक ? मां की सहनशीलता का अंत होता क्यों नहीं? उसे हंसने की