अग्निजा - 41

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प्रकरण 41 शांति बहन को घर में फैली हुई नीरवता खल रही थी। उनका दम घुट रहा था। उन्होंने एक व्यूहरचना की। उन्होंने यह सबकुछ जयश्री को मिर्च मसाला लगाकर बताया। “ये चलने वाला नहीं, चींटी को पंख निकल आए हैं। आज वह हरामी बोल रही है, कल उसकी मां भी मुंह चलाने लगेगी। पर ये हुआ कैसे, ये ही समझ में नहीं आ रहा.. यशोदा को वह पहली बार मार खाते हुए थोड़े देख रही थी। किसी ने उसके कान तो नहीं भरे होगें...जयश्री, तुम एक काम करो...वो जहां पढ़ने जाती है वहां उसकी कौन-कौन सी सहेलियां हैं...किससे मुलाकात