उजाले की ओर –संस्मरण

  • 3.2k
  • 1.3k

उजाले की ओर------- संस्मरण --------------------- नमस्कार स्नेही मित्रों हम सब चाहते हैं कि हमारा जीवन खूब सुख में हो' हम खूब ऐश्वर्य में रहें लेकिन इससे पहले क्या हमें कुछ बातों के ऊपर ध्यान देना ज़रूरी नहीं होगा? चलिए, इस बारे में कुछ चर्चा करते हैं। जीवन को सुखमय बनाने के लिए रिश्तों को सँभालना अति आवश्यक है। रिश्तों में विश्वास बनाए रखना इतना  ही आवश्यक है जितनी अपने सिर पर छत का होना। रिश्तों का आधार प्रेम है। यह ढाई अक्षर का अक्षर इतना भारी है कि इसके पलडे़  ताउम्र यदि झुके रहें तब ज़िंदगी सदा एक खूबसूरत उत्सव