कहानी प्यार कि - 31

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" आई एम सोरी मोहित पर में तुम्हारे सामने आकर तुम्हारी होली खराब करना नही चाहती..." अंजली एक कोने में छुपकर मोहित को देखती हुई बोली..." शायद ये मेरा भ्रम ही था.. वो यहा क्यों आएगी..!" मोहित निराश होता हुआ बोला और फिर वहा से चला गया..मोहित के जाते ही अंजली ने चैन की सांस ली.. आज सब होली खेल खेलकर बहुत ही थक गए थे इसीलिए रात को सब जल्दी सो गए...अगली सुबह संजना फ्रेश होकर नीचे आई... " ओह बहुरानी उठ गई..! देखो तो सूरज सिर पर चढ़ आया है और ये है की अभी नीचे आ रही