चारो तरफ होली की धूम मची हुई थी... सब लोग मस्ती में नाचते हुए एक दूसरे को रंग लगा रहे थे.. इधर अनिरुद्ध संजना को ढूंढने में लगा था.. अनिरूद्ध को अपनी तरफ आता देखकर संजना खंभे के पीछे छुप गई.." इतनी आसानी से हाथ नही आऊंगी.. तुम्हारे .. " अनिरूद्ध संजना की आवाज सुनकर उसकी तरफ मुड़ा पर तब तक संजना भाग कर भिड़ में घुस गई.." अब बस हो गया ये पकड़म पकड़ाई का खेल.. संजू.. अब तुम देखो कैसे तुम मेरे पास दौड़ी दौड़ी आती हो..." अनिरूद्ध ने कुछ अच्छा सा सोच लिया था.. वहा आंगन में