मेरे घर आना ज़िंदगी - 22

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(22)मकरंद बेडरूम में गया तो नंदिता अपने हाथ से अपनी आँखों को ढके हुए लेटी थी। मकरंद ने उससे कहा,"उठो नंदिता। मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"नंदिता उठकर बैठ गई। उसकी आँखें नम थीं। मकरंद उसके पास बैठ गया। उसने अपने हाथ से उसके आंसू पोंछे। उसके बाद बोला,"तुमने कहा कि मैं नहीं समझूँगा। तुम्हारे ऐसा कहने की क्या वजह है।"नंदिता ने कह तो दिया था पर उसके बाद ही उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था। इसलिए वह चुपचाप उठकर बेडरूम में आ गई थी। उसने कहा,"सॉरी मकरंद.....मेरे मुंह से निकल गया।""नंदिता कोई भी बात बस ऐसे ही