लता के एक वाक्य ने ही मुझे बेटी के प्रति सजग कर दिया था। पत्नी दो दिन बाद लौटी तो मैंने सब कुछ जानना चाहा। लेकिन उसने औपचारिक हाँ-हूँ के सिवा विस्तार से ऐसा कुछ न बताया जिससे मुझे संतुष्टि हो जाती। तब मैंने फैसला कर लिया, खुद जाऊंगा! और जब टिकट करा लिया, जाने लगा तो उसने रोक लिया, कहा- 'आप जाकर क्या करेंगे? वह तो हॉस्टल में रह रही है।' मैंने कहा- 'क्यों नहीं करूंगा, मैं एक बार जाकर देखता हूं, प्रबंधन से बात करता हूं...' इस पर उसने सख्ती से कहा,