अदालत कक्ष में गहन सन्नाटा पसरा हुआ था। बंसीलाल और सरकारी वकील लल्लन सिंह अपनी अपनी जगह पर बैठ चुके थे। सबकी निगाहें जज की तरफ लगी हुई थीं जो एक कागज पर कुछ लिख रहे थे। बंसीलाल की दलीलें सुनकर बिरजू का क्रोध भड़क उठा था लेकिन किसी तरह उसने खुद पर संयम बनाये रखा था। क्रोध से उसकी आँखें अंगारे जैसी दहक रही थीं। मन में आशंका ने घर कर लिया था लेकिन फिर भी वह क्या कर सकता था खामोश रहकर फैसले का इंतजार करने के अलावा ? मन ही मन वह अपने ग्रामदेवता को याद किये