नाटक ‘हज़ार चौरासी की माँ’ मूल बांग्ला उपन्यास - महाश्वेता देवी बांग्ला नाट्य रूपांतर - शांति चट्टोपाध्याय हिन्दी नाट्य अनुवाद - मल्लिका मुखर्जी चरित्र : सूत्रधार, दिव्यनाथ, सुजाता, व्रती, सरोज, सोमू की माँ, नन्दिनी दृश्य – 2 सुजाता: ओह! आप? इतनी रात को नशे में धूत होकर घर लौटते हुए शर्म नहीं आती आपको? बाकी की रात भी बाहर ही बिता देते। दिव्यनाथ: (लड़खड़ाते क़दमों से...) थोड़ी-सी देर क्या हो गई, इतना गुस्सा? बात क्या है आखिर? इतनी रात को तुम जाग रही हो? नाथू कहाँ मर