मेरे घर आना ज़िंदगी - 15

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(15)समीर स्कूल जाने के लिए तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आया। वह बहुत नर्वस था। अमृता ने उसे सीने से लगाकर कहा,"बेटा डरने की ज़रूरत नहीं है। मैंने कहा है ना कि मैं तुम्हारे साथ हूँ। कुछ भी हो उसका सामना करना। डरना नहीं। अगर कोई कुछ गलत करने की कोशिश करे तो उसकी शिकायत करना।"अमृता ने उसका टिफिन लाकर दिया। स्कूल बस आने का वक्त हो गया था। वह उसे खुद बस में बैठाने के लिए नीचे गई। समीर को बस में बैठाकर वह लौट रही थी तो उसकी मुलाकात नंदिता से हुई। नंदिता उसे देखकर उसकी तरफ