भोर होते ही बिरजू ,चौधरी और बसंती सहित लगभग पच्चीस गाँव वाले भी थाने पर हाजिर थे।दरोगा शायद अभी तक नहीं आया था। सिपाही भी बदले हुए लग रहे थे। भारी भीड़ देखकर एक सिपाही बाहर आया और सबसे आगे खड़े बिरजू से पूछा, "सुजानपुर से आये हो ? रात को हुए बलात्कार के सिलसिले में ?""जी साहब !" बिरजू ने झट से जवाब दिया।"लड़की कहाँ है ?" सिपाही ने फिर पूछा।बसंती को आगे करते हुए बिरजू ने भोलेपन से कहा, "ये खड़ी है साहब !"बसंती को सिपाही की भूखी निगाहें अपने जिस्म में चुभती हुई सी महसूस हुईं जब