संस्कृत श्लोक नाभिषेको न संस्कार: सिंहस्य क्रियते मृगैः |विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेंद्रता ||हिंदी अनुवाद:जंगल में पशु शेर का संस्कार करके या उसपर पवित्र जल का छिडकाव करके उसे राजा घोषित नहीं करते बल्कि शेर अपनी क्षमताओं और योग्यता के बल पर खुद ही राजत्व स्वीकार करता है ।सिंहान्त नाम :सिंह शब्द संस्कृत भाषा के सिन्हा शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ शेर है।जिस प्रकार सिंह को बलवान से बलवान पशुओं में धाक बैठाने के कारण सर्वश्रेष्ठ माना जाता है ,उसी प्रकार क्षत्रियों को भी चार वर्णों में कर्म के हिस्से में राज्यों का संरक्षण और प्रजा का पालन करने का