अपंग - 50

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50 ---- चलती रही ज़िंदगी ! सैटिल होने लगी थी भानु | बच्चे की नैनी बहुत अच्छी, समझदार थी | जैसे भानु को भारत में अपने घर पर बेटे का ध्यान रखने की कोई ज़रूरत नहीं होती थी, इसी तरह यहाँ पर भी इंतज़ाम हो चुका था | मज़े की बात यह कि बच्चे और उसकी आया का कुछेक दिनों में ही ऐसा संबंध हो गया था कि वह भानु को याद ही नहीं करता था | आया उसकी माँ बन चुकी थी | एक दिन रिचार्ड ने चाय पीते-पीते पूछा ; "यू नो ----?" और चुप्पी साधकर चाय की