मत्स्य कन्या - 2

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अविनाश जी के पुछने पर त्रिश्का उन्हें बताते बताते डर जाती है...........अब आगे..त्रिश्का अपने सपने के बारे में सोचकर घबरा जाती है..….." त्रिशू तू भूल जा सपनों के बारे में .." त्रिश्का के सिर पर हाथ फेरते हुए मालविका जी ने कहा " ठीक है मां... लेकिन पता नहीं वो अजीब सा इंसान मुझे क्यूं दिखाई देता है..." त्रिश्का ने खोते हुए मन से कहा " बेटा उन‌‌ सबको भूल जा... अच्छा तेरी ड्यूटी कैसी चल रही है..." त्रिश्का को ख्यालों से बाहर लाने के लिए अविनाश जी ने कहात्रिश्का : ठीक ही चल रही पापा...एक दिन का भी रेस्ट