व्यंग्यमोहताज़ गण और तंत्र यशवन्त कोठारीसर्वत्र तंत्र का राज्य है । गण मोहताज है । हर विकास,योजना पर तंत्र का अधिकार है । गण को कोई नहीं पूछता उसेक्या चाहिये । तंत्र जो उचित समझता है, गण को मिलता है । गणको शेयर बाजार की ऊँचाईयां दिखाई जाती है, गण कहता हैशेयर मार्केट देश नहीं है । गण को प्रोपर्टी में बूम दिखाया जाता है,तंत्र कहता है देखो, ये शॉपिंग माल देखो, ये कारपोरेट आफिसदेखो, मगर गण को यह सब नहीं दिखता उसे दिखते है, गरीबमजदूर और आत्महत्याएं करते किसान । जमीन बेचने के बादबीमार, बूढ़े किसान, मजदूर मर रहे