लेखिका - राजम कृष्णन अनुवादक - डॉ लता रामचंद्रन “क्या देख रही हो?” उसकी उम्र क़रीब छह साल होगी। उसकी फ्रॉक में गीली मिट्टी के दाग लगे हुए थे, और रूखे बेजान बालों में तेल लगा हुआ था. उसकी आँखों में चंचलता थी, और उसके होंठ थोड़े से खुले हुए थे. उस बच्ची ने मामी के सवाल का जवाब तो नहीं दिया, लेकिन वह उसे टुकुर टुकुर देख रही थी. “इस घर में क्या आप अकेली रहतीं हैं?” बच्ची ने मुझसे पूछा. “हमारे घर के मामा तो ऑफिस गए हैं. शाम को आएंगे.” “मामी! आपके घर में और कोई नहीं