नक्षत्र कैलाश के - 14

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                                                                                             14 नाश्ते के बाद सब बाहर आ गए। चारों ओर घना अंधियारा छाया हुआ था। चांदनी रात में अंधेरा घना लग रहा था या तारों नक्षत्रों की तेजस्विता यह तो समझ के बाहर हैं। लेकिन एक दुसरे के बिना दोनो अधूरे हैं। आज हम लोग चीन में प्रवेश करने वाले थे। नाभीढांग से लेकर