अथ गूँगे गॉंव की कथा - 19

  • 2.2k
  • 1
  • 1.1k

उपन्यास-   रामगोपाल भावुक                              अथ गूँगे गॉंव की कथा 19                अ0भा0 समर साहित्य पुरस्कार 2005 प्राप्त कृति                                         19       अकाल का स्थिति में जितनी चिन्ता गरीब आदमी को अपने पेट पालने की रहती है उतनी ही तृष्णा घनपतियों को अपनी तिजोरी भरने की बढ़ जाती है। गाँव की स्थिति को देखकर ठाकुर लालसिंह रातों-रात अनाज की गाडियाँ भरवाकर बेचने के लिये शहर लिवा गये।      सुबह होते ही यह खबर गाँव भर में फैल गई। इससे लोगों की भूख और तीव्र हो गई। उन्हें लगने लगा-यहाँ के सेठ-साहूकार हमें भूख से मारना चाहते हैं।