अथगूँगे गॉंव की कथा - 16

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उपन्यास-   रामगोपाल भावुक                                अथ गूँगे गॉंव की कथा 16                अ0भा0 समर साहित्य पुरस्कार 2005 प्राप्त कृति       16                                  समाज में दो वर्ग स्पष्ट दिख रहे हैं। एक शोषक वर्ग दूसरा शोषित वर्ग। आज समाज में ऐसे जनों की आवश्यकता है जो पीड़ित जन-जीवन में जूझने के प्राण भर सकें। यह काम कर सकता है बुद्धिजीवी, किन्तु ये बुद्धिजीवी तो चन्द टुकड़ों की खातिर शाषकों के हाथों बिक गये हैं। इसी कारण मौजी को किसी सलाह पर विश्वास नहीं हो रहा है। वह अपने-पराये की ही पहचान नहीं कर पा रहा